दिल्ली के स्कूलों में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार ने नए निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूल प्रधानाचार्यों को मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) साझा की हैं, जिसमें छात्रों, शिक्षकों, और अन्य हितधारकों की सुरक्षा और भलाई को ध्यान में रखते हुए विभिन्न रणनीतियाँ बनाई गई हैं।
स्कूलों के लिए आपातकालीन योजनाएं
स्कूल प्रधानाचार्यों को ऐसी जगहों की पहचान करने का निर्देश दिया गया है, जहां से आपात स्थिति में तुरंत स्कूल से सुरक्षित बाहर निकला जा सके।
स्कूल के भीतर भी सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कहा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर वहां सुरक्षा मिल सके।
बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा और सीपीआर में स्टाफ को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
स्कूलों में आपातकालीन आपूर्ति जैसे टार्च, बैटरी, भोजन, पानी, और कंबल की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
सभी आपातकालीन उपकरणों का नियमित निरीक्षण भी आवश्यक है।
आपातकालीन तैयारी के लिए कदम
आपदा प्रबंधन समिति की स्थापना कर प्रधानाचार्य को उसके साथ काम करने का निर्देश दिया गया है।
स्कूल परिसर के अंदर संभावित खतरों और जोखिमों की पहचान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करें।
आपात स्थिति के दौरान सूचनाओं का त्वरित और प्रभावी ढंग से संचार किया जाना चाहिए।
नियमित आपातकालीन अभ्यास और तैयारी करने के लिए समिति के साथ काम करें।
छात्रों, शिक्षकों, और अभिभावकों के लिए एक आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम बनाएं।
छात्रों, कर्मचारियों और अभिभावकों के लिए आपातकालीन संपर्क जानकारी की अद्यतन सूची बनाए रखें।
विद्यार्थियों के लिए दिशा-निर्देश
आपातकालीन अभ्यासों में सक्रिय रूप से भाग लें और निर्देशों का पालन करें।
आपातकालीन निकास, निकासी मार्गों और स्थान के बारे में जागरूक रहें।
शिक्षकों या स्कूल को किसी भी संभावित खतरे की जानकारी दें।
शिक्षा निदेशालय के इन निर्देशों का उद्देश्य स्कूलों और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। सभी हितधारकों से अपील की गई है कि वे आपातकालीन तैयारी और बचाव के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं।