अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपने अस्पताल को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया है। अब एम्स में ओपीडी, जांच काउंटर और कैफेटेरिया में केवल ऑनलाइन पेमेंट ही स्वीकार्य है। एम्स का कहना है कि कैशलेस भुगतान व्यवस्था से लेन-देन में पारदर्शिता आएगी।
कैफेटेरिया भी हुआ कैशलेस
एम्स में अब कैफेटेरिया में भी केवल डिजिटल भुगतान स्वीकार किए जाएंगे। एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम. श्रीनिवास के अनुसार, इस बदलाव से मरीजों और उनके परिजनों को कैश लेकर चलने की झंझट से मुक्ति मिलेगी। यहां यूपीआई, क्रेडिट कार्ड, और डेबिट कार्ड से भुगतान किया जा सकता है।
ग्रामीण मरीजों के लिए कठिनाई
हालांकि, इस नई व्यवस्था से ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को कुछ समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादातर ग्रामीण लोग कैश में लेन-देन करना पसंद करते हैं और डिजिटल भुगतान के लिए उनके पास साधन भी सीमित होते हैं।
एम्स की पहल पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
एम्स के इस कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि डिजिटल भुगतान से अस्पताल में पारदर्शिता और व्यवस्था में सुधार होगा, जबकि अन्य लोगों को लगता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को इसके लिए नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।