उत्तर प्रदेश वन निगम ने अपनी स्थापना के 50 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर लखनऊ के होटल क्लार्क अवध में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पर्यावरण एवं वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने स्थानीय पर्यटन और वन्य जीवन पर ध्यान केंद्रित किया।
क्यों जाएं पहाड़ों पर, जब यूपी में हैं घने जंगल?
पर्यावरण एवं वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने सवाल उठाया कि उत्तर प्रदेश के लोग पहाड़ों पर घूमने क्यों जाते हैं जबकि यहां भी कई घने जंगल हैं। चित्रकूट के रानीपुर वन्य अभयारण्य और अयोध्या के कतर्निया घाट जैसी जगहें बेहद खूबसूरत हैं लेकिन पर्यटकों का ध्यान इन पर कम ही जाता है।
वन्य जीवन और जैविक खेती पर जोर
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकारों ने भी अपने विचार साझा किए। सुनीता एरेन ने पौधारोपण की संख्या बढ़ाने और लकड़ी के सामान के निर्माण पर जोर दिया। वहीं, भूपेंद्र पांडेय ने सोनभद्र जिले के जंगलों की खूबसूरती को पर्यटन के लिए विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

आदिवासी और जैविक खेती
आशुतोष शुक्ला ने आदिवासियों को जैविक खेती से जोड़ने की जरूरत पर बात की। उन्होंने कहा कि आदिवासी जंगल में बेहतर जैविक खेती कर सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी और लोगों की सेहत भी बेहतर होगी।
वन निगम की योजनाएं और चर्चाएं
कार्यक्रम में वन निगम के अपर प्रबंध निदेशक प्रमाणीकरण सुनील कुमार और संचालन सुजाय बनर्जी ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन में यूपी की अग्रणी स्थिति को रेखांकित किया और तेंदूपत्ता, जड़ी-बूटी, बांस आदि के मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्बन क्रेडिट और वन संरक्षण
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट की दिशा में कार्य करने पर जोर दिया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुधीर कुमार शर्मा ने वन्य जीवन और पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की।
इस विशेष कार्यक्रम में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मुकेश कुमार सिंह ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे कार्यक्रम का महत्व और बढ़ गया। उत्तर प्रदेश वन निगम के इस 50 साल के सफर को और भी सफल बनाने के लिए सभी ने मिलकर प्रयास करने का संकल्प लिया।