WHO के अनुसार 1000 हजार लोगों पर होने चाहिए 5 बेड, लेकिन देश की राजधानी में ऊपलब्ध है सिर्फ आधे, दिल्ली में अस्पतालों में है बुरा हाल

आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है, जिसका उद्देश्य है स्वस्थ जीवन और समृद्ध समाज को प्रोत्साहित करना। इस बार का विषय है ‘मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार’। यहां दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बारे में चर्चा है, जो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘आयुष्मान भारत’ अभियान के विचारधारा के साथ मेल खाती है।

बेडों की कमी

एक ऐसी रिपोर्ट के अनुसार, एक हजार की आबादी पर 5 अस्पताल बेड होने चाहिए, लेकिन दिल्ली में यह आंकडे़ केवल आधे है। यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों के हजारों पद खाली हैं।

महत्वपूर्ण सुझाव

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को लोगों को बीमारियों के बारे में जागरूक करने, जांच और उपचार की उपलब्धता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके साथ ही, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच को सुनिश्चित करना भी अहम है।

सुधार के लिए कदम

दिल्ली में इस समस्या का समाधान करने के लिए, एक डैश बोर्ड बनाया जा सकता है, जिससे मरीजों को उपलब्ध बेडों की जानकारी सही समय पर मिल सके। इससे न केवल उन्हें तत्काल उपचार मिलेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी बेड खाली न रहे। इसके अलावा, तकनीकी सुधारों के माध्यम से भी अस्पतालों की क्षमता बढ़ाई जा सकती है।

हार्ट कमांड सेंटर में नई सुविधा

सफदरजंग अस्पताल के हार्ट कमांड सेंटर में अब 24 घंटे कैथ लैब की सुविधा होगी। इससे हार्ट के मरीजों को उपचार में आराम मिलेगा और उनकी स्थिति का संवेदनशीलता से ध्यान रखा जा सकेगा। यह एक कदम है जो दिल्ली के नागरिकों के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करेगा।