केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क और फिर 22 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने वैट दरों में कटौती की है। लेकिन इस कटौती का इनके खजानों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ने वाले है। इसका कारण का कोरोनाकाल दरअसल कोरोना महामारी के बाद इकोनामी की रफ्तार जिस तरह से बनी है, उससे राजस्व संग्रह की वास्तविक स्थिति बेहतर रहने की उम्मीद है। इस कटौती के बावजूद पूरे साल के लिए पेट्रोलियम उत्पादों से होने वाले कुल राजस्व का अनुमान भी केंद्र की उम्मीदों के आसपास रहने वाला है।
जनता को राहत देने का वक्त
बता दे कि वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नवंबर को जीएसटी संग्रह का आंकड़ा आने के बाद ही यह सहमति बन गई थी कि अब पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्क कटौती कर आम जनता को राहत देने का समय आ गया है। अक्टूबर में जीएसटी संग्रह की राशि 1.30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की थी जो पिछले वर्ष अक्टूबर के मुकाबले 24 प्रतिशत ज्यादा और वर्ष 2019 के समान महीने के मुकाबले 36 प्रतिशत ज्यादा थी।
बेहतर रही कर वसूली
इतना ही नहीं अगर अक्टूबर से पहले तीन महीनों (जुलाई से सितंबर, 2021) की स्थिति देखी जाए तो जीएसटी में यह बढ़ोतरी क्रमश: 33 प्रतिशत, 30 प्रतिशत एवं 23 प्रतिशत की हुई है। दूसरे करों की वसूली भी पिछले कुछ समय के दौरान बेहतर रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में समग्र कर संग्रह पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले 100.80 प्रतिशत और वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के मुकाबले 51.57 प्रतिशत ज्यादा रही है
बढ़ी है पेट्रोल डीजल की बिक्री
हालांकि दूसरी तरफ वित्त वर्ष की पहली छमाही में पेट्रोल की बिक्री 21 प्रतिशत और डीजल की 15 प्रतिशत बढ़ी है। आने वाले महीनों में इसके और बढ़ने की संभावना है। केंद्र सरकार अपने कुल कर राजस्व का 41 प्रतिशत राज्यों से साझा करती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021-22 पेश करते हुए प्रस्ताव किया था कि इस वर्ष सरकार राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र की तरफ से वसूले गए करों व शुल्क में से 6,65,563 करोड़ रुपये देगी