देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे दिल्ली और जयपुर के बीच बनाए जाने की घोषणा हाल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दौसा में की थी. इसकी लंबाई 200 किलोमीटर होगी. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के साथ ही एक नई लेन पर यह ई-हाईवे बनाया जाएगा. इस लेन में केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे. यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली होगा. माना जा रहा है कि इलेक्ट्रिक हाईवे बन जाने पर दिल्ली से जयपुर का सफर 2 घंटे में तय होगा. इलेक्ट्रिक हाईवे से प्रदूषण से भी राहत मिलेगी और विकास को नई रफ्तार मिलेगी

राजस्थान में इस बार पहली दफा ई-व्हीकल नीति भी बनाई गई है. इसके साथ ही राज्य सरकार ई-व्हीकल्स के चार्जिंग प्वाइंट बनाने के लिए आधी दर पर जमीन देने का फैसला भी कर चुकी है. राजधानी जयपुर में जल्द ही करीब 100 चॉर्जिंग प्वाइंट तैयार हो जाएंगे. इनमें से करीब 50 तो तैयार हो चुके हैं और इतनों पर काम चल रहा है. आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में अभी करीब 41 हजार ई व्हीकल्स का रजिस्ट्रेशन हो चुका है.

अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो वर्ष 2022 के फरवरी माह में इस पर ट्रायल रन किया जाएगा. उसके बाद इस मार्ग से गुजरने वाले वाहन पेट्रोल-डीजल की टंकी नहीं बल्कि बैटरी फुल करवाकर सरपट दौड़ेंगे. इस हाई वे पर 36 चार्जिंग प्वाइंट स्थापित कर दिये गये हैं. जानकारी के अनुसार लगभग 200 करोड़ रुपये के निवेश से इस हाईवे पर ई-कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है.

इस रूट पर चार्जिंग पॉइंट का खर्चा भारी उद्योग मंत्रालय वहन कर रहा है. इसमें सहयोग के लिए राज्य सरकार ने अपने तीन विभागों को परिवहन, नगरीय विकास और उद्योग विभाग को उसके साथ एसोसियेट किया है. इस रूट पर एक एसयूवी वाहन एक बार फुल चार्ज के बाद 180 किलोमीटर तक सरपट दौड़ सकेगा. बीच रास्ते में कहीं कोई समस्या होने पर उसे महज 30 मिनट में टैक्नीकल हेल्प भी उपलब्ध हो सकेगी. एक मोटे अनुमान के अनुसार रनिंग में आने के बाद प्रतिवर्ष करीब 90 हजार वाहन इस कॉरिडोर का उपयोग करेंगे.

सरकार का टार्गेट है कि आगामी 2024 तक कुल वाहनों में से 25 फीसदी ई व्हीकल हों. इसकी तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं. राजस्थान में यात्रियों की लाइफ लाइन के तौर पहचाने जाने वाली रोडवेज भी अब इलेक्ट्रिक बसों की ओर रुख कर रही है. वहीं जयपुर में संचालित जेसीटीएसएल भी इसकी तैयारियां कर रही है. ये दोनों पहले इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए कवायद शुरू कर चुकी हैं.

देश की बात करें तो वर्तमान में करीब 37 हजार ई वाहन चल रहे हैं. इनसे करीब 37 हजार से ज्यादा लीटर पेट्रोल की प्रतिदिन बचत हो रही है. ये वाहन वातावरण को भी सुरक्षित रखने में सहायक हैं.