हरियाणा के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री, नायब सैनी, की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के अकोला वेस्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को रद्द कर दिया है, जिसके कारण हरियाणा में भी करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव पर ध्यान केंद्रित है।
कार्यकाल के संकट
महाराष्ट्र के उपचुनाव को रद्द करने के मुख्य कारण था उपयुक्त प्रत्याशी के कार्यकाल की कमी। इसी तरह, हरियाणा में भी चुनकर आने वाले प्रत्याशी का कार्यकाल एक साल से कम था। यह नियम उपचुनावों को रद्द करने का कारण बन सकता है।
चुनौती और नियमों की चुनौती
हरियाणा में करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव की वोटिंग 25 मई को है, और यहां से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी को प्रत्याशी बनाया गया है। अगर उन्हें विधायक नहीं बना पाए, तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया जाना होगा।
सरकारी खर्चे की बर्बादी
कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए करनाल विधानसभा उपचुनाव को रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे सरकारी खर्चे की बर्बादी होगी।
हाईकोर्ट के फैसले ने हरियाणा में राजनीतिक हलचल को बढ़ावा दिया है। अब देखना है कि हाईकोर्ट के फैसले का नतीजा क्या होता है और क्या नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री नायब सैनी को उपचुनाव में सफलता मिलती है या नहीं।