मौसम विभाग के अनुसार, अप्रैल से जून तक अत्यधिक गर्मी की भविष्यवाणी ने लोगों को चिंतित किया है। यह अधिकतर मध्य और पश्चिमी भागों को प्रभावित कर सकता है। गर्म लहरें नया सामान्य हो रही हैं, जो हमारी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है।
असर: किसानों, रोजगार, और खेती पर
गर्मी का असर सब्जियों की कीमतों पर पड़ेगा। यह न केवल खेती को प्रभावित करेगा, बल्कि आम लोगों के रोजगार पर भी असर डालेगा। IMF के अनुसार, असंगठित क्षेत्र के 83% और कृषि और संबद्ध क्षेत्र के 45.76% मजदूर शारीरिक परिश्रम करते हैं।
जल की कमी: संभावित खतरा
केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भारत के जलाशयों में जल स्तर की कमी देखी जा रही है। यह खेती के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।
इकोनॉमी की हालत: मॉनिटरी पॉलिसी और मंहगाई
हीट वेव के बढ़ते प्रकोप के साथ, सब्जियों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। इससे मॉनिटरी पॉलिसी और मंहगाई पर भी असर हो सकता है।
हीट वेव का असर सिर्फ शारीरिक परेशानी के साथ ही नहीं, बल्कि खेती, जल की कमी, और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। सावधानी और संज्ञान बरतना महत्वपूर्ण है।