“पराली से होगा दोहरा फायदा:”फसलों के उत्पादन में 120% वृद्धि

बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी की डॉ. चंचल मल्होत्रा ने पराली जलाने का नया तरीका खोजा

रोहतक: पराली जलाने से उत्तर भारत के किसानों और सरकारों को आई समस्या का समाधान ढूंढने की दिशा में एक नया कदम उठाया गया है। बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक डॉ. चंचल मल्होत्रा ने अपने शोध में टमाटर और चावल की फसलों पर किया गया एक विशेष तरीका बताया है, जिससे उन्होंने 20% तक टमाटर और 120% तक चावल की फसल में वृद्धि देखी है।

फसलों का उत्पादन बढ़ाएगा यह नया तरीका

डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि इस नए तरीके से पराली का उपयोग न केवल समस्या को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि फसलों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी लाएगा। उनके अनुसार, पराली से बची हुई धरती को नरम करने और मिट्टी में सिलिकॉन की मात्रा को बढ़ाने से फसलों को अधिक पोषक तत्व मिलेंगे।

पराली से सिलिकॉन की मात्रा में कमी

उन्होंने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी में पाया जाने वाला सिलिकॉन का प्रचुर मात्रा में कम हो जाता है। इससे वृद्धि की गई सिलिकॉन की मात्रा से फसलों को बेहतर नुत्रिएंट प्राप्त होते हैं।

पराली जलाने से होगा दोहरा फायदा

डॉ. मल्होत्रा का मानना है कि इस तरीके से पराली का उपयोग करके किसान अपने फसलों के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और इससे पराली जलाने की समस्या से भी निजात मिल सकती है। यह एक कदम हो सकता है वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में।