दिल्ली में इस दिन सरकार ने दिया सार्वजनिक अवकाश का निर्देश, स्कूल, कॉलेज और दफ्तर सब रहेंगे बंद

दिल्ली में 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। इस निर्णय का उद्देश्य अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करना और मतदान प्रतिशत बढ़ाना है। इसी दिन पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी चुनाव होंगे, इसलिए दिल्ली में छुट्टी की घोषणा की गई है।

दिल्ली में मतदाताओं की संख्या
पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार दिल्ली में मतदाताओं की संख्या में कुछ बदलाव देखने को मिला है। 2019 के चुनाव में दिल्ली में 1 करोड़ 43 लाख 27 हजार 649 मतदाता थे, जिनमें से 53 प्रतिशत मतदाता 18 से 40 वर्ष की आयु के थे। इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 47 लाख 18 हजार 119 हो गई है, लेकिन 18 से 40 वर्ष की आयु के मतदाताओं की संख्या घटकर 45 प्रतिशत (66 लाख 74 हजार 458) रह गई है। इस प्रकार, पिछले चुनाव की तुलना में युवा मतदाताओं की संख्या में 8 लाख 76 हजार 958 की कमी आई है।

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प्रमुख उम्मीदवार और सीटें
दिल्ली की प्रमुख लोकसभा सीटों पर चुनावी मुकाबले में कई प्रमुख उम्मीदवार मैदान में हैं:

नई दिल्ली सीट: भाजपा से बांसुरी स्वराज के खिलाफ आप के सोमनाथ भारती।
पूर्वी दिल्ली: भाजपा से हर्ष मल्होत्रा के खिलाफ आप के कुलदीप कुमार।
दक्षिणी दिल्ली: भाजपा से रामवीर सिंह बिधूड़ी के खिलाफ आप के सहीराम पहलवान।
पश्चिमी दिल्ली: भाजपा से कमलजीत सहरावत के खिलाफ आप के महाबल मिश्रा।
चांदनी चौक: भाजपा से प्रवीण खंडेलवाल के खिलाफ कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल।
उत्तर पूर्वी दिल्ली: भाजपा से मनोज तिवारी के खिलाफ कांग्रेस के कन्हैया कुमार।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली: भाजपा से योगेंद्र चंदोलिया के खिलाफ कांग्रेस के उदित राज।

गठबंधन की रणनीति
इस बार दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। यह गठबंधन दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उन्हें मतदाताओं का व्यापक समर्थन मिल सकता है।

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दिल्ली में 25 मई को लोकसभा चुनाव के चलते घोषित सार्वजनिक अवकाश से मतदाताओं को मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। मतदाता संख्या में आई गिरावट और युवा मतदाताओं की संख्या में कमी चिंता का विषय है, लेकिन पहले बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी से उम्मीद भी बंधती है। प्रमुख सीटों पर उम्मीदवारों के बीच मुकाबला कड़ा होगा और गठबंधन की रणनीति चुनाव परिणामों पर असर डाल सकती है।