पिछले कई दिनों से जारी जल संकट के बीच दिल्लीवासियों के लिए राहत की खबर है। हालात में सुधार देखा जा रहा है, जिससे पानी की समस्या में थोड़ी कमी आई है। हालांकि, यमुना का जल स्तर अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है।
जल उत्पादन में मामूली सुधार
दिल्ली जल बोर्ड ने बुधवार को जानकारी दी कि शहर के 9 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स ने 1004 एमजीडी पानी का उत्पादन किया, जो पिछले कुछ दिनों की तुलना में 15-20 एमजीडी अधिक है। वजीराबाद वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी का उत्पादन बढ़कर 136 एमजीडी हो गया है, जो पहले 85 एमजीडी था।
दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट
दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को विभिन्न वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स से 1004.18 एमजीडी पानी का उत्पादन किया गया। इसमें हैदरपुर प्लांट से 241.6 एमजीडी, सोनिया विहार से 142.6, वजीराबाद से 133.6, भागीरथी से 112.8, चंद्रावल से 99.9, द्वारका से 52, नांगलोई से 44.4, ओखला से 22 और बवाना से 20 एमजीडी पानी शामिल है। इसके अलावा, 5700 ट्यूबवेलों से रोजाना 135 एमजीडी पानी का उत्पादन हो रहा है। जल बोर्ड का दावा है कि वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स की सामान्य क्षमता की तुलना में 48.1 एमजीडी अधिक पानी का उत्पादन हो रहा है।
यमुना का जल स्तर अब भी नीचे
रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को यमुना का जल स्तर 671.1 फीट रिकॉर्ड किया गया, जबकि यह 674.5 फीट होना चाहिए। वजीराबाद प्लांट में उत्पादन पर इसका असर इसलिए कम पड़ा है क्योंकि यमुना से पानी की मात्रा बढ़ाई गई है। पहले 85 एमजीडी पानी लिया जा रहा था, जो अब 135 एमजीडी हो गया है।
हर साल जल संकट की समस्या
दिल्ली में गर्मियों के दौरान जल संकट की समस्या आम हो गई है। इसकी मुख्य वजह यह है कि दिल्ली का अपना कोई जल स्रोत नहीं है और उसे पानी के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा पर निर्भर रहना पड़ता है। दिल्ली सरकार का कहना है कि यमुना के पानी पर निर्भर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स के लिए हरियाणा ने यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा है, जिससे जल संकट की स्थिति उत्पन्न होती है।
इस स्थिति में सुधार के बावजूद, यमुना के जल स्तर को बढ़ाना और जल स्रोतों का समुचित प्रबंधन महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में दिल्लीवासियों को जल संकट का सामना न करना पड़े।