दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए सरकार ने एक और सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल से 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं मिलेगा। इस फैसले से राजधानी में ओवरएज गाड़ियों की संख्या कम करने और प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
कैसे होगी गाड़ियों की पहचान?
फिलहाल, ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग चेकिंग के दौरान दस्तावेजों के आधार पर गाड़ियों की उम्र का पता लगाते हैं। लेकिन पेट्रोल पंपों पर हजारों गाड़ियां रोजाना ईंधन भरवाने आती हैं, जिससे मैन्युअल तरीके से उनकी जांच करना मुश्किल हो जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार ने एक हाई-टेक योजना बनाई है।
AI बेस्ड सिस्टम करेगा काम
दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग पेट्रोल पंपों पर ‘एआई बेस्ड ऑटोमेटेड एंड ऑफ लाइफ व्हीकल डिटेक्शन सिस्टम’ लगाने जा रहा है। इसके तहत सभी पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे गाड़ी की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे और तुरंत यह पता लगा लेंगे कि गाड़ी कितनी पुरानी है।
कैमरे सीधे ट्रांसपोर्ट विभाग के सर्वर से जुड़े होंगे
यह कैमरे सीधे ट्रांसपोर्ट विभाग के सर्वर से कनेक्टेड होंगे। जैसे ही कोई गाड़ी पेट्रोल पंप में प्रवेश करेगी, कैमरा उसकी नंबर प्लेट स्कैन करेगा और सिस्टम डेटा के आधार पर बताएगा कि गाड़ी ओवरएज है या नहीं।
- यदि गाड़ी 15 साल से पुरानी होगी या उसके पास वैध PUC सर्टिफिकेट नहीं होगा, तो पंप पर एक बीप बजेगी।
- इसके साथ ही पेट्रोल पंप पर लगी स्क्रीन पर उस गाड़ी का नंबर डिस्प्ले हो जाएगा, जिससे वहां मौजूद स्टाफ को अलर्ट मिल जाएगा और उस वाहन को फ्यूल देने से रोका जा सकेगा।
ओवरएज गाड़ियों पर सख्त कार्रवाई
दिल्ली में 367 पेट्रोल पंपों पर ये कैमरे पहले ही लगाए जा चुके हैं और मार्च के अंत तक बाकी 35 पेट्रोल पंपों पर भी यह सिस्टम लागू कर दिया जाएगा। इस नई व्यवस्था से न सिर्फ ओवरएज गाड़ियों की पहचान आसान होगी, बल्कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जा सकेगी।
परिवहन विभाग लगातार 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों का डी-रजिस्ट्रेशन कर रहा है, ताकि पकड़ी जाने वाली गाड़ियों को तुरंत स्क्रैपिंग के लिए भेजा जा सके।
प्रदूषण रोकने की दिशा में बड़ा कदम
यह कदम दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होता है, और इस नए नियम से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। अब देखना होगा कि 1 अप्रैल से लागू होने के बाद यह सिस्टम कितना कारगर साबित होता है।