प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए दिल्ली में विदेशी मेहमानों का आना शुरू हो गया है। इस खास मौके पर कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नेता शिरकत करने वाले हैं, जिससे यह समारोह और भी महत्वपूर्ण बन गया है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीफ पहुंचे दिल्ली
शेख हसीना और अहमद अफीफ पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं। बांग्लादेश और सेशेल्स के इन प्रमुख नेताओं की उपस्थिति इस समारोह को वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण बना रही है। इसके अलावा, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को भी आमंत्रित किया गया है।
पड़ोसी देशों के नेताओं की भागीदारी
भारत ने अपने पड़ोसी और हिंद महासागर क्षेत्र के सात देशों के नेताओं को इस समारोह में आमंत्रित किया है। इसमें नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे शामिल हैं। यह आमंत्रण भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘सागर’ दृष्टिकोण के तहत दिया गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ रात्रिभोज
शपथ ग्रहण समारोह के बाद, सभी नेता राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित भोज में शामिल होंगे। समारोह का आयोजन रविवार को शाम 7:15 बजे राष्ट्रपति भवन में किया जाएगा।
भारत-बांग्लादेश संबंधों को मिलेगी मजबूती
शेख हसीना के दिल्ली पहुंचने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “यह यात्रा भारत-बांग्लादेश के बीच मित्रता के घनिष्ठ और गहरे संबंधों को और मजबूत करेगी।” जायसवाल ने अफीफ की भारत यात्रा का भी स्वागत किया, जो भारत-सेशेल्स द्विपक्षीय संबंधों को और गति प्रदान करेगी।
मालदीव के राष्ट्रपति की उपस्थिति का महत्व
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की उपस्थिति भी इस समारोह के लिए महत्वपूर्ण है। मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद है।
क्षेत्रीय संबंधों का महत्व
मोदी के पहले शपथ ग्रहण समारोह में दक्षेस देशों के नेताओं ने भाग लिया था। 2019 में उनके दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के नेता शामिल हुए थे। इस बार भी पड़ोसी देशों के नेताओं की भागीदारी से भारत के क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक राजनीति के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस समारोह में विभिन्न देशों के नेताओं की उपस्थिति भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव का संकेत है।