दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जेल में रहने की अवधि बढ़ा दी गई है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को 3 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया है। इससे पहले, अदालत ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में क्या है आरोप?
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि राजधानी में शराब व्यापार में निवेश के एवज में पंजाब के व्यापारियों से रिश्वत ली गई थी। ईडी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी शासित पंजाब में जिन व्यापारियों ने रिश्वत नहीं दी, उन्हें शराब कारोबार में निवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। यह मामला धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ दर्ज किया गया पहला मामला है।
आत्मसमर्पण के बाद से जेल में
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई निर्धारित तारीख के अनुसार, सीएम केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण किया था। राजघाट, हनुमान मंदिर और पार्टी नेताओं से मिलने के बाद उन्होंने जेल का रास्ता अपनाया था।
मेडिकल बोर्ड में पत्नी की सहभागिता पर विवाद
केजरीवाल ने तिहाड़ जेल प्रशासन से अपनी पत्नी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मेडिकल बोर्ड में शामिल होने देने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने जेल प्रशासन से इस पर जवाब मांगा था। न्यायाधीश मुकेश कुमार ने ईडी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं और ईडी इस याचिका पर आपत्ति नहीं कर सकता।
अदालत का निर्णय
अदालत ने कहा कि आरोपी ने मेडिकल बोर्ड में पत्नी को शामिल करने की अनुमति मांगी है, और जेल अधीक्षक से जवाब मांगना उचित होगा। अदालत ने ईडी से कहा कि यदि केजरीवाल को कोई राहत चाहिए, तो इसमें आपकी कोई भूमिका नहीं है क्योंकि वे न्यायिक हिरासत में हैं, ईडी की हिरासत में नहीं।
इस निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि अरविंद केजरीवाल को फिलहाल जेल में ही रहना होगा और न्यायिक हिरासत के दौरान उनके स्वास्थ्य और अन्य मुद्दों पर अदालत ही निर्णय लेगी।