दिल्ली में गर्मी ने इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बुधवार को मुंगेशपुर में तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, हालांकि बाद में यह पता चला कि मौसम विभाग का सेंसर खराब हो गया था, जिससे गलत रीडिंग दर्ज हो गई। मंगलवार को भी मुंगेशपुर में 49.9 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था। मौसम विभाग ने बुधवार को पहले ही गर्मी व लू का रेड अलर्ट जारी किया था।
राजधानी के अन्य हिस्सों में भी रही भीषण गर्मी
आईएमडी के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नजफगढ़ में 48.6 डिग्री, जफरपुर में 48 डिग्री, पूसा में 48.3 डिग्री, नरेला में 47.9 डिग्री और पीतमपुरा में 48.3 डिग्री तापमान दर्ज किया गया।
दिल्ली का तापमान 10 साल में 7 डिग्री बढ़ा
दिल्ली में औसतन तापमान में पिछले 10 वर्षों में 7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। 2014 में मई में जहां तापमान 30-33 डिग्री तक रहता था, वहीं 2024 में यह 40 डिग्री तक पहुंच गया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के शोध के अनुसार, 1998 से दिल्ली का तापमान लगातार बढ़ रहा है, लेकिन 2014 के बाद इसमें तेजी से वृद्धि देखी गई है।
शहरी गर्म द्वीप का बढ़ता प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली गर्म द्वीपों का शहर बन गया है। संगम विहार, बदरपुर, जैतपुर, आईजीआई एयरपोर्ट, नजफगढ़, छतरपुर, मुंडका, जाफरपुर, मुंगेशपुर, नरेला और शाहदरा जैसे इलाकों में औसत तापमान अपने आसपास के क्षेत्रों से ज्यादा है।
बढ़ते तापमान के कारण
निर्माण स्थलों की बढ़ोतरी: 2003 में दिल्ली का 31.4 फीसदी क्षेत्र निर्मित था, जो 2022 में 38.2 फीसदी हो गया।
वाहनों की संख्या में वृद्धि।
आवासीय व व्यावसायिक परिसरों की संख्या बढ़ने से तापमान में वृद्धि।
प्रदूषण और ओजोन स्तर में वृद्धि।
बढ़ते तापमान का असर
पानी की गुणवत्ता पर प्रभाव।
ऊर्जा की मांग में इजाफा।
दिल और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा।
सुबह और शाम का तापमान अधिक होना।
विशेषज्ञों की राय
शहरी गर्म द्वीपों का सबसे अधिक असर रात के तापमान पर देखा जाता है। रात में तापमान अधिक रहने से दिन की गर्मी से उबरने का मौका कम मिलता है। अधिक कंक्रीट के निर्माण और जलाशयों की कमी भी गर्मी बढ़ाने के बड़े कारण हैं।
शरणजीत कौर, कार्यक्रम अधिकारी, सीएसई, कहती हैं कि बीते एक दशक में रातों की गर्मी नौ फीसदी से बढ़ी है। वहीं, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के तापमान में 3.8 फीसदी का फर्क है।
प्रसून सिंह, फेलो, टीईआरआई, का मानना है कि जमीन के उपयोग का तरीका बदल रहा है, जिससे सूर्य की किरणें ठीक से फैल नहीं पातीं और अधिक गर्मी होती है। जलाशयों की कमी और अधिक कंक्रीट के निर्माण से भी गर्मी और उमस बढ़ रही है।
दिल्लीवासियों को अभी गर्मी से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार, जून के पहले सप्ताह तक तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहेगा।