दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद गहराता जा रहा है। दिल्ली सरकार जहां पानी की कमी का आरोप लगा रही है, वहीं हरियाणा सरकार ने अपने पुराने दावे को दोहराते हुए कहा है कि वे दिल्ली को पूरा पानी दे रहे हैं।
हरियाणा का दावा: ‘1050 क्यूसेक पानी दे रहे हैं’
हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह तय समझौते के तहत प्रतिदिन 1050 क्यूसेक पानी दिल्ली को उपलब्ध करा रही है और इसमें कोई कटौती नहीं की गई है। हरियाणा के मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय ने दिल्ली सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह दिल्ली सरकार का कुप्रबंधन है जो उन्हें पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है।
पानी बर्बादी की समस्या
सूत्रों के मुताबिक, मूनक नहर से दिल्ली तक पानी पहुंचते-पहुंचते कुछ हिस्सा बर्बाद हो जाता है। रखरखाव में कमी के कारण यह समस्या पैदा हो रही है, जिससे दिल्ली को पूरा पानी नहीं मिल पा रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि पांच फीसदी तक पानी कम पहुंचने की गुंजाइश रहती है, लेकिन अगर यह कमी इससे ज्यादा होती है तो इसका मतलब है कि नहर के रखरखाव में गंभीर समस्याएं हैं।
कोर्ट के आदेश और पानी का वितरण
दिल्ली और हरियाणा के बीच 719 क्यूसेक पानी देने का समझौता हुआ था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वजीराबाद पौंड के स्तर को 674.8 फीट रखने के निर्देश दिए थे, जिसके तहत हरियाणा 1050 क्यूसेक पानी दिल्ली को भेज रहा है। हालांकि, बवाना के पास पहुंचते-पहुंचते इस पानी में कमी पाई जाती है।
राजनीतिक बयानबाजी
हरियाणा के पंचायत राज्यमंत्री महिपाल ढांडा ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया कि वे पानी की कम आपूर्ति को लेकर गलतफहमी फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा की तरफ से तय मात्रा से 70 से 80 क्यूसेक ज्यादा पानी दिया जा रहा है।
निष्कर्ष
दिल्ली-हरियाणा जल विवाद में दोनों सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं। एक ओर हरियाणा सरकार का दावा है कि वे पूरा पानी दे रहे हैं, जबकि दूसरी ओर दिल्ली का आरोप है कि उन्हें कम पानी मिल रहा है। इस जल संकट का समाधान तभी संभव है जब दोनों राज्यों के बीच आपसी समन्वय और रखरखाव में सुधार किया जाए।