दिल्ली सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग ने एक नया सर्कुलर जारी किया है जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिना वित्त विभाग और उपराज्यपाल (एलजी) की मंजूरी के, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट का रिन्युअल नहीं किया जाएगा।
सख्त निर्देश
प्रशासनिक सुधार विभाग ने कहा है कि जिन कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो चुके हैं या होने वाले हैं, उनके कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाने से पहले वित्त विभाग की अनुमति अनिवार्य है। इसके बिना किसी भी कर्मचारी की सेवा को एक्सटेंड नहीं किया जाएगा।
प्रभावित विभाग
इस सर्कुलर का सबसे बड़ा प्रभाव डीटीसी, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण जैसे विभागों पर पड़ेगा, जहां बड़ी संख्या में आउटसोर्सिंग स्टाफ कार्यरत है। यह कदम खासकर उन कर्मचारियों के लिए समस्याएं खड़ी कर सकता है जो वर्षों से कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं।
स्थाई नियुक्तियों पर जोर
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना शुरू से ही सरकारी विभागों में स्थाई नियुक्तियों के समर्थक रहे हैं। पिछले साल भी कई विभागों में कार्यरत कंसल्टेंट्स, फेलोज, और रिसर्चर्स की सेवाएं समाप्त की गई थीं और स्थाई नियुक्तियों पर जोर दिया गया था।
वित्त विभाग का ऑफिस मेमोरेंडम
सर्कुलर में 19 अगस्त 2016 को वित्त विभाग द्वारा जारी एक ऑफिस मेमोरेंडम का भी हवाला दिया गया है। इसमें सभी विभाग प्रमुखों को निर्देशित किया गया था कि आउटसोर्सिंग स्टाफ की सेवाओं को एक्सटेंड करते समय विशेष सावधानियां बरतें। प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस मेमोरेंडम के निर्देशों का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया है।
नियमों का उल्लंघन
सर्कुलर में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई विभागों में वित्त विभाग की मंजूरी के बिना ही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवाओं को एक्सटेंड किया जा रहा था, जो कि नियमों का उल्लंघन है। अब से ऐसा करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस नए सर्कुलर से यह साफ हो गया है कि दिल्ली सरकार अपने विभागों में अनुशासन और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठा रही है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ के लिए यह एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा, जिससे सरकारी विभागों में कामकाज के तरीके में भी बड़ा फर्क आ सकता है।