दिल्ली: एक ताजगी भरे नजरिए के साथ दिल्ली में फैटी लीवर की बीमारी में वृद्धि हो रही है, जिसका नतीजा लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान (ILBS) के सर्वे से आया है। इस सर्वे में 11 जिलों के 6,000 से अधिक लोगों की शामिलता थी, जिसमें से लगभग 56% में फैटी लीवर की बीमारी पाई गई।
फैटी लीवर का असर
सर्वे में बड़ा हिस्सा उन लोगों का मिला जिनका वजन अधिक था, लेकिन 11% लोग दुबले थे या सामान्य वजन वाले थे। इससे संकेत मिलता है कि यह बीमारी सिर्फ मोटापे से ही नहीं, बल्कि दुबलेपन से भी जुड़ी है। एलिमेंटरी फार्माकोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स जर्नल में प्रकाशित सर्वे ने इस चुनौतीपूर्ण स्वास्थ्य समस्या की भारी चर्चा की है।
फैटी लीवर से जुड़े खतरे
एमएएफएलडी के कारण अधिकतम लोगों को हो सकती हैं अनेक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि ब्लड में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल, टाइप 2 मधुमेह, और अन्य मेटाबोलिक रोग। डॉ. एसके सरीन ने बताया कि यह बीमारी आमतौर पर नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर रोग के रूप में पहचानी जाती थी, लेकिन इसकी व्यापकता में वृद्धि हो रही है।
बचाव और इलाज
इस बढ़ते स्वास्थ्य समस्या को रोकने के लिए हमें क्रियाशील होना होगा। अपने वजन को संजीवनी बूटी बनाने के लिए उचित आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें। एमएएफएलडी के रिस्क को कम करने के लिए समय पर कदम उठाना हम सभी की जिम्मेदारी है, ताकि हम इस सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या को नियंत्रित कर सकें।
इलाज के विकल्प
डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी के इलाज के लिए सामान्यत: लीवर सर्जरी या लीवर ट्रांसप्लांट की जा सकती हैं, लेकिन समय पर उचित कदम उठाना हमें इससे बचा सकता है। यह मामला सीआरआरटी जैसे वैकल्पिक इलाज की क्षमता पर प्रकाश डालता है।