दिल्ली सरकार का बड़ा कदम:राजधानी में जलभराव की समस्या का समाधान,नालों का बाथमीट्रिक सर्वेक्षण

दिल्ली के मुख्य सचिव ने राजधानी में जलभराव की समस्या का समाधान निकालने के लिए बारापुला, सुनहरी पुल और कुशल नालों का बाथमीट्रिक सर्वे कराने का सुझाव दिया है। यह सर्वेक्षण जल निकाय की गहराई मापने और उसके पानी के नीचे की विशेषताओं का आकलन करने में मदद करेगा।

एनजीटी में मुख्य सचिव का हलफनामा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल हलफनामे में मुख्य सचिव ने कहा कि सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएफसीडी) द्वारा इन तीनों नालों का एक महीने के अंदर बाथमीट्रिक सर्वे कराया जा सकता है। उन्होंने नालों से अतिक्रमण हटाने और अन्य अहम पहलुओं पर कार्रवाई के संबंध में भी सुझाव दिए।

नालों की सफाई और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नालों से सौ प्रतिशत सिल्ट (गाद) निकालने की प्रक्रिया तीन महीने में पूरी की जा सकती है। इस काम को निर्धारित समयसीमा में पूरा करने के लिए पर्याप्त मशीनों की आवश्यकता होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि आईएफसीडी, एमसीडी, एनडीएमसी, पीडब्ल्यूडी, डूसिब और दिल्ली पुलिस को संयुक्त अभियान के तहत नालों से अतिक्रमण हटाने की जरूरत है।

बारापुला नाला: दक्षिण दिल्ली की लाइफ लाइन

मुख्य सचिव ने कहा कि बारापुला नाला दक्षिण दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम की लाइफ लाइन है और इस पर अतिक्रमण को रोकने के लिए कंटीले तारों से बैरिकेडिंग करने की जरूरत है। साथ ही, नालों में डाले जाने वाले निर्माण और ध्वस्तीकरण मलबा (सीएंडडीडी) को रोकने के लिए सर्विलांस कैमरा लगाए जाने की भी आवश्यकता है।

एनजीटी के आदेश और आइएफसीडी की जिम्मेदारी

एनजीटी द्वारा बारापुला नाले की सफाई की जिम्मेदारी तय करने के मामले में मुख्य सचिव ने कहा कि 29 अप्रैल 2024 के आदेश के तहत बारापुला नाले के ए-7 से बी तक के हिस्से की सफाई की जिम्मेदारी आईएफसीडी की है। इसके अलावा, आठ अप्रैल 2024 के आदेश के तहत सभी 22 नालों के रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी भी आईएफसीडी की है।

इस पहल के माध्यम से दिल्ली सरकार राजधानी में जलभराव की समस्या का समाधान निकालने के लिए कड़े कदम उठा रही है, जिससे शहर के निवासियों को राहत मिल सके।