दिल्ली में ऑटो-टैक्सी हड़ताल से आज परेशानी, 4 लाख टैक्सियां रहेंगी सड़कों से गायब

राजधानी दिल्ली और एनसीआर में आज ऑटो और टैक्सी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि ऑटो-टैक्सी चालकों की दो दिवसीय हड़ताल शुरू हो गई है। इस हड़ताल का मुख्य कारण ऐप-आधारित कैब सेवाओं से उनकी आजीविका पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को बताया जा रहा है।

15 से अधिक यूनियनों की हड़ताल में 4 लाख टैक्सियां सड़कों से नदारद

इस हड़ताल में दिल्ली-एनसीआर की 15 से अधिक प्रमुख ऑटो और टैक्सी यूनियनों ने भाग लिया है। अनुमान है कि हड़ताल के कारण करीब 4 लाख टैक्सियां सड़कों से गायब रहेंगी, जिससे यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऑटो, टैक्सी, और ऐप-आधारित कैब सेवाओं का सबसे ज्यादा प्रभावित होने का खतरा है। हड़ताल के समर्थन में ऑटो-टैक्सी संगठनों के पदाधिकारी जंतर-मंतर पर आज धरना प्रदर्शन करेंगे, जिसके लिए दिल्ली पुलिस से अनुमति मिल चुकी है।

ऐप-आधारित सेवाओं पर नाराजगी, सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

ऑल दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन के अध्यक्ष किशन वर्मा ने हड़ताल के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि ऐप-आधारित कैब सेवाओं से ऑटो और टैक्सी चालकों को बड़ा नुकसान हो रहा है। उनका दावा है कि इन ऐप कंपनियों द्वारा मोटा कमीशन वसूला जा रहा है, जिससे टैक्सी चालकों की कमाई में भारी गिरावट आई है।

वर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की मिलीभगत से अवैध रूप से चल रही बाइक टैक्सी और ई-रिक्शा के कारण टैक्सी ड्राइवर्स का रोजगार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मनमानी को रोकने में विफल रही है, जिसके चलते हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

समाधान की मांग, सरकार से तत्काल कार्रवाई की अपील

किशन वर्मा ने कहा कि वे कई वर्षों से ऐप-आधारित कंपनियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार और विभागों ने उनकी सुनवाई नहीं की। उनका आरोप है कि यह कारोबार चंदे के खेल की तरह चलाया जा रहा है, जिसमें सरकार भी शामिल है। वर्मा ने मांग की कि इस खेल को खत्म किया जाए और ऑटो-टैक्सी चालकों के रोजगार को बचाने के लिए तत्काल समाधान निकाला जाए।

दिल्ली में यह हड़ताल यातायात व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो रोजाना ऑटो और टैक्सी सेवाओं पर निर्भर रहते हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार और संबंधित विभाग इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और क्या इस हड़ताल के चलते ऑटो-टैक्सी चालकों की मांगों पर कोई कार्रवाई होती है।