दिल्लीवाले ध्यान दें! इस सर्दी बढ़ेंगे पार्किंग रेट, जानिए आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

नई दिल्ली: एक नवंबर से राजधानी दिल्ली में पार्किंग रेट्स में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली कैंट बोर्ड (DCB) के पार्किंग रेट्स को एक समान किया जाएगा। आने वाली सर्दियों के प्रदूषण को देखते हुए कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने निजी गाड़ियों के लिए पार्किंग चार्ज को रेशनलाइज करने का निर्णय लिया है।

क्यों लिया गया यह फैसला?

सीएक्यूएम के अनुसार, सर्दियों के दौरान प्रदूषण की एक बड़ी वजह ट्रांसपोर्ट सेक्टर है, खासकर निजी गाड़ियों का बढ़ता उपयोग। जाम की स्थिति में गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण में इजाफा करता है। इसे कम करने के लिए सीएक्यूएम ने क्लीन फ्यूल वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे मेट्रो, इलेक्ट्रिक बसें और सीएनजी सिटी बसों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।

कब से लागू होंगे नए रेट?

पार्किंग के नए रेट्स 1 नवंबर 2024 से लागू हो जाएंगे। सीएक्यूएम ने एमसीडी कमिश्नर, एनडीएमसी के चेयरपर्सन और दिल्ली कैंट बोर्ड के सीईओ को इसकी तैयारी करने का आदेश दिया है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट कमिशनर और अडिशनल कमिशनर ऑफ पुलिस (ट्रैफिक) को भी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।

ग्रैप-2 का नियम और डीएमआरसी का मामला

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के स्टेज-2 के अनुसार, प्रदूषण के दौरान निजी गाड़ियों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग चार्ज बढ़ाने का प्रावधान है। लेकिन, डीएमआरसी की पार्किंग के बारे में अभी कोई स्पष्टता नहीं है, क्योंकि सीएक्यूएम ने डीएमआरसी को इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया है।

क्या होंगे नए रेट्स का प्रभाव?

इस फैसले का मकसद लोगों को अपनी निजी गाड़ियों की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है। हालांकि, 2017 में जब पार्किंग चार्ज बढ़ाए गए थे, तो पार्किंग के बाहर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई थीं और दिल्ली में जाम की स्थिति पैदा हो गई थी। इस बार इन चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तैयारी की जरूरत है।

क्या है अगला कदम?

सीएक्यूएम ने एजेंसियों को पार्किंग रेट्स को रेशनलाइज करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह न केवल दिल्ली बल्कि एनसीआर क्षेत्र के अन्य हिस्सों में भी लागू की जा सकती है, जिससे पूरे क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके।