नई दिल्ली — दिल्ली सरकार हर साल की तरह इस वर्ष भी अपने स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के बीच विकलांगता की पहचान के लिए वार्षिक स्क्रीनिंग अभियान चला रही है। इस मुहिम का उद्देश्य समय रहते छात्रों में दिव्यांगता के लक्षणों की पहचान कर उन्हें सही शैक्षिक सहायता देना है, ताकि “विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016” (RPWD Act, 2016) के तहत उनके अधिकार सुरक्षित रह सकें।
यह अभियान दिल्ली के सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, निजी मान्यता प्राप्त और स्थानीय निकायों (एमसीडी, एनडीएमसी, डीसीबी) के स्कूलों में एक साथ चलाया जाएगा।
क्या करना है? जानिए चरणबद्ध तरीका
- हर छात्र का अवलोकन करें: क्लास टीचर छात्रों की नियमित गतिविधियों पर नजर रखें।
- PRASHAST मोबाइल ऐप का उपयोग: छात्रों की प्रारंभिक जांच के लिए इस सरकारी ऐप का सहारा लें।
- माता-पिता की अनुमति जरूरी: स्क्रीनिंग से पहले सभी छात्रों के माता-पिता से लिखित सहमति (NOC) प्राप्त करें।
- लक्षण दिखने पर लिस्ट बनाएं: जिन छात्रों में विकलांगता के लक्षण दिखें, उनकी अलग से सूची तैयार करें।
- समय पर रिपोर्टिंग करें: निर्धारित समयसीमा में रिपोर्ट तैयार कर जिला समन्वयक को भेजें।
जरूरी तारीखें जो याद रखनी हैं
- 30 अप्रैल, 2025: टीचर्स ट्रेनिंग का काम पूरा करना अनिवार्य।
- 25 जुलाई, 2025: छात्रों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
- 31 जुलाई, 2025: तैयार रिपोर्ट जिला समन्वयक को सौंपनी है।
किन बातों पर रखनी है खास नजर?
स्क्रीनिंग के दौरान शिक्षकों को इन लक्षणों पर विशेष ध्यान देना है:
- चलने-फिरने, खाने-पीने या लिखने में कठिनाई
- बोलने में रुकावट या अस्पष्ट उच्चारण
- पढ़ाई-लिखाई में असामान्यता या कठिनाई
- सामाजिक व्यवहार में गड़बड़ी या अलगाव
- अत्यधिक डर, कल्पनाओं में खो जाना
कितने चरणों में होगी स्क्रीनिंग?
स्क्रीनिंग प्रक्रिया को दो मुख्य चरणों में बांटा गया है:
- चरण 1: कक्षा शिक्षक द्वारा प्रारंभिक अवलोकन।
- चरण 2: विशेष शिक्षक या काउंसलर द्वारा गहन जांच और मूल्यांकन।
क्यों है यह अभियान महत्वपूर्ण?
समय पर विकलांगता की पहचान से छात्रों को उचित सहायता, विशेष शिक्षा और जरूरी संसाधन मुहैया कराए जा सकते हैं। इससे न सिर्फ उनकी शिक्षा में सुधार होगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और जीवन आसान बनेगा।