दिल्ली में अब कोई भी घर, बिल्डिंग या इमारत बनाना पहले जितना आसान नहीं होगा। राजधानी की हवा को साफ रखने के लिए दिल्ली सरकार ने निर्माण और तोड़फोड़ (Demolition) कार्यों के लिए कड़े नियम लागू कर दिए हैं। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इन नए नियमों का ऐलान करते हुए कहा कि अब हर निर्माण कार्य को ‘डस्ट कंट्रोल पोर्टल’ पर पंजीकरण कराना जरूरी होगा।
📋 किसे करना होगा रजिस्ट्रेशन?
- सभी 500 वर्ग मीटर या उससे बड़े प्लॉट्स पर अगर कोई निर्माण या डिमोलिशन कार्य शुरू करना है, तो पहले Delhi Pollution Control Committee (DPCC) के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
- जब तक साइट रजिस्टर्ड नहीं होती, तब तक MCD, NDMC या दिल्ली कैंट बोर्ड की ओर से मंजूरी नहीं मिलेगी।
🛠️ साइट पर क्या-क्या करना होगा ज़रूरी?
- साइट रजिस्ट्रेशन के बाद बिल्डर या साइट मैनेजर को हर 15 दिन में Self-Declaration देनी होगी कि उन्होंने डस्ट कंट्रोल उपायों का पालन किया है या नहीं।
- इसमें Self-Audit रिपोर्ट भी शामिल होगी जिसमें यह देखा जाएगा कि धूल रोकने के क्या इंतज़ाम हैं।
🎥 कैमरे और सेंसर होंगे जरूरी
- हर निर्माण स्थल पर अब 360-डिग्री घूमने वाला कैमरा लगाना अनिवार्य होगा, जिससे पूरे क्षेत्र की निगरानी हो सके।
- इसके साथ ही साइट पर Low-Cost Particulate Matter Sensors भी लगाए जाएंगे, जो हवा में धूल की मात्रा को मापेंगे।
🤖 AI के जरिए होगी निगरानी, उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई
- सरकार अब AI तकनीक की मदद से साइटों की निगरानी करेगी।
- नियमों का उल्लंघन होते ही AI सिस्टम से सीधा नोटिस भेजा जाएगा।
- तीन नोटिस के बाद भी यदि सुधार नहीं हुआ, तो चालान और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
📌 14 बिंदुओं वाले गाइडलाइन का पालन जरूरी
- सभी साइटों को 14 पॉइंट डस्ट कंट्रोल गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करना होगा।
- इन नियमों को साइट पर डिस्प्ले बोर्ड पर चिपकाना अनिवार्य होगा।
- 500 वर्ग मीटर से छोटी साइटों को भी अब अपनी DPCC रजिस्ट्रेशन ID साइट पर प्रदर्शित करनी होगी।
🧱 छोटे प्लॉट्स पर भी आएंगे नियम
- पर्यावरण मंत्री ने संकेत दिए कि आने वाले समय में यह नियम 200 वर्ग मीटर या उससे बड़ी साइटों पर भी लागू किए जाएंगे।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली की प्रदूषित हवा में 33% योगदान केवल डस्ट (धूल) का है, इसी वजह से सरकार अब इस पर कड़ाई से लगाम लगाने जा रही है।
📣 निष्कर्ष
दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल निर्माण क्षेत्र को अधिक जवाबदेह बनाएगा, बल्कि दिल्लीवासियों को स्वच्छ हवा देने की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास है। अगर नियमों का सही पालन हुआ तो राजधानी की हवा में सुधार निश्चित रूप से देखने को मिलेगा।