UP-दिल्ली बॉर्डर (गाजीपुर) से दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड्स हटवा दिए इसके अलावा टीकरी बॉर्डर भी खोल दिया गया ऐसे में पैदल रहागीरों और दोपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। वहीं शाहजहांपुर बॉर्डर पर हल्के वाहनों को आवागमन भी शुरू हो चुका है।अब सिर्फ सिंघु बॉर्डर ऐसा बचा है। जो बंद है और रास्ता खोलने को लेकर भी कोई हलचल नहीं है।

मांगें पूरी होगी,तभी घर वापसी होगी-

बताया जा रहा है कि किसानों के आंदोलन के कारण बंद रहे यूपी गेट पर अभी पूरी तरह से यातायात शुरू होने की कोई संभावना नहीं है।भारतीय किसान यूनियन की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि धरना यथावत जारी रहेगा। इसके अलावा भाकियू का कहना है कि पुलिस की ओर से गाजीपुर बार्डर से बेरिकेडिंग हटाये जाने के बाद तमाम अफवाहों का दौर जारी है।लेकिन किसान मोर्चा स्पष्ट कर देना चाहता है कि धरना जारी रहेगा। जब तक कृषि कानून वापिस नहीं होगें।उनकी मांगे नहीं मानी जाएगी। धरना जारी रहेगा। पहले सरकार हमारी बात मांनेगी।तभी घर वापसी होगीं।
बॉर्डर बंद, आमजन परेशान–

बता दे कि बैरिकेड के एक तरफ पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।तो वहीं दूसरी तरफ आंदोलनकारी किसान बैठे है।लेकिन बॉर्डर बंद होने से आमजन को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। रास्ते बंद होने की वजह से बच्चे, विद्यार्थी, महिलाएं और बुजुर्ग बार्डर से सटी पथरीली व कांटों भरी राहों पर रोज कई किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर हैं। कोई नौकरी से हाथ धो चुका है तो कोई व्यापार बंद कर चुका है।
आंदोलनकारीयों का कब्जा

सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानून के विरोध में आंदोलनकारी सिंघु बार्डर पर कब्जा करके बैठे है।साथ ही कहते हैं कि रास्ता पुलिस ने बंद किया है।जबकि सच यह है कि अगर रास्ते खुल गए तो 11 माह से चल रहे आंदोलन के ऐशोआराम पर कैची चल जाएगी। लेकिन स्थानीय लोग के बारे में सोचे और उनसे जाने तो वह सभी चाहते हैं कि प्रदर्शनकारी बार्डर खाली कर दें।लेकिन आपको बता दें जब- जब स्थानीय लोगों ने आवाज उठाई हैं।उन्हें मारपीट और धमका कर चुप करा दिया गया है।कई बार तो प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय लोगों पर हमले तक किए हैं।